नमस्कार दोस्तों आज हम बिहार चुनाव स्पेशल सीरीज का शुरू करने जा रहे है । जिसका नाम पाटलिपुत्र का 2022 में किंग कौन है? (Patliputra ka 2022 mein king kon ) इस सीरीज में बिहार (Bihar) चुनाव (election) से पहले बिहार (Bihar)के महत्वपूर्ण समस्या पर बात करेंगे , और इन समस्या सामधान भी बताए गे। जैसा मेरा आदत है सिर्फ समस्या ही नही बल्कि उसके सामधान भी बताते है।
नमस्कार दोस्तों ये सीरीज इंटरनेट इतिहास की सबसे बड़ी सीरीज जिसमें हम बात करेंगे कि बिहार की समस्या उसका सामधान क्या है , जिसे आप हमारे यूट्यूब चैनल Ind talk पर देख सकते है ओर हमारे website Shashiblog.in पढ़ सकते है।
आज का हमारा विषय प्रवासी मजदूर की पलायन
जब देश में लॉकडॉउन लगा तो पुरी दुनिया प्रवासी मजदूर की पलायन की तस्वीरे देख रही जब मजदुर को महानगरो यानी (Metro city) अपने गाँव पैदल ही वापस जाना पड़ा था।हाल सालो में बिहार से पलायन में भारी बढोतरी हुई है। एक अनुमान के अनुसार यह संख्या 45 लाख से 50 लाख तक हो सकती है। बिहार से अंतर-राज्यीय पलायन देश में सबसे अधिक है।
चलिए अब हम जानते हैं बिहार पलायन समस्या कैसे आरंभ , इसके लिए हमे जाना पड़ेगा बिहार की इतिहास में .
ऐतिहासिक रूप से देखे तो बिहार में पलायन तीन दौरों से गुजरा है। पहले दौर में अंग्रेजों ने बिहारी मजदुरो को पूर्व के राज्यों में पलायन करने के लिए खास तौर पर प्रोत्साहित किया।
दूसरा दौर हरित क्रांति के बाद शुरू हुआ, जब मजदूर पंजाब, हरियाणा जाने लगे।
तीसरा मौजूदा दौर उदारीकरण के साथ शुरू होता है, जब शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन का रुझान बढ़ा। नतीजतन, अब पलायन जिसमें मजदूर काम समाप्त होते ही लौट आता था। शहर में ही बसने आकांक्षा प्रबल हुई है। स्थानीय श्रम बाज़ार में काम का अभाव पलायन की समस्या का मुख्य वजह है।
बिहार से रोजगार के लिए सबसे ज्यादा निकलने वाले लोगों इन शहरो में जाते है। वो शहर मुंबई और दिल्ली।
दिल्ली में बिहारी की संख्या
दिल्ली में सबसे अधिक 61.8 लाख प्रवासियों की संख्या है। इसमें सबसे ज्यादा 28 लाख लोग अकेले उत्तर प्रदेश से हैं। हों भी क्यों ना, यूपी दरअसल दिल्ली की सीमा से सटे है। दूसरे नंबर की बात करें तो बिहारियों की संख्या आती है। दिल्ली में दस लाख से अधिक प्रवासी बिहारी रहते हैं। आपको बता दे कि ये आंकड़े 2019 के .
मुंबई में बिहारी की संख्या
मुंबई की बात करें तो यहां भी प्रवासियों में सबसे अधिक तादाद उत्तर प्रदेश के लोगों का ही है। इसके बाद गुजरातियों का नंबर आता है। मुबई में 18.8 लाख लोग उत्तर प्रदेश से हैं। वहीं दूसरे नंबर पर यहां गुजरात राज्य के लोग रहते हैं। मजे की बात ये कि बिहार के लोगों की तादाद के हिसाब से पांचवा नंबर है। यहां तीसरे नंबर पर कर्नाटक, चौथे नंबर पर राजस्थान के प्रवासी आते हैं।
आजादी के बाद कैसे भारत ग्रामीण क्षेत्रो से शहर की ओर पलायन होने लगी
स्वतंत्र भारत की प्रथम जनगणना 1951 में ग्रामीण एवं शहरी आबादी का अनुपात 83 प्रतिशत एवं 17 प्रतिशत था। 50 वर्ष बाद 2001 की जनगणना में ग्रामीण एवं शहरी जनसंख्या का प्रतिशत 74 एवं 26 प्रतिशत हो गया। वही जनगणना 2011 के अनुसार हमारे देश की कुल जनसंख्या 121.02 करोड़ आंकलित की गई है जिसमें 68.84 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में निवास करती है और 31.16 प्रतिशत शहरो में रहती है , इन आंकड़े देखने के बाद स्पष्ट परिलक्षित होता है कि भारतीय ग्रामीण क्षेत्रो के लोगों का शहरों की ओर पलायन तेजी से बढ़ रहा है।
मुझे एक बात याद आ रहा है , नितीश कुमार के इंटरव्यू में कहा था कि बिहार के लोग शौक से बाहर जाते हैं। अब बिहार में काम की कोई कमी नहीं है।
एक बात जरूर सोचिए गा आप क्या वाकई बिहार रोजगार कमी नही है या फिर नितीश कुमार झुठ कह रहे है , आंकड़े तो यही कहते है कि मुख्यमंत्री नितीश कुमार झुठ कह रहे थे। खैर आप सोचिए गा जरूर।
ये विडियो जरूर देखिए बिहार चुनाव अबतक की सबसे बड़ी सीरीज की episode 1..
इस episode में बस इतना ही हम अगले episode बात करेंगे कि बिहार पलायन समस्या सामधान कैसे होगा?