समय बड़ा बलवान होता है
कहने का अर्थ यह है कि समय पलक झपकते ही किसी का भी जीवन बदलने की सामर्थ्य रखता है। भारतीय अध्यात्म शास्त्र की मान्यता है कि जीवन में हर परिवर्तन का समय प्रारब्ध के मुताबिक पहले से निश्चित रहता है।
आज जीवन और समय से जुड़ी भगवान गौतम बुद्ध की एक सुंदर कथा जानते हैं-
वैशाली की नगरवधु आम्रपाली अपने अप्रतिम सौंदर्य के कारण नगर के कुलीन वर्ग की रुचि का केंद्र बनी हुई थी। आम्रपाली राजनर्तकी थी, इसीलिए उसके पास वैशाली के राजवर्ग और साम्राज्य के बड़े पदाधिकारी तो आते ही थे, नगर के धनी व्यक्ति भी उसके साथ समय बिताने के लिए आतुर रहते थे और इसके लिए कोई भी मूल्य चुकाने को तत्पर रहते थे। कहा जा सकता है कि आम्रपाली अपनी युवावस्था में पूरे वैशाली साम्राज्य को अंगुली पर नचा रही थी। उसके रूप-सौंदर्य की चर्चा दूर-दूर के नगरों तक थी और वह हर पुरुष की अभिलाषा का केंद्र थी। इतना महत्व पाकर आम्रपाली का घमंड भी आसमान छू रहा था।
गौतम बुद्ध को लोग साक्षात् भगवान मानते थे
इसी वक्त भारत में बौद्ध धर्म अपने अस्तित्व में आ चुका था और इसके प्रवर्तक गौतम बुद्ध को लोग साक्षात् भगवान मानते थे। भगवान बुद्ध अपने सभी अनुयायियों के लिए सहज रूप से उपलब्ध थे और अपनी इच्छानुसार किसी से भी भिक्षा लेकर जीवन यापन करते थे। वे अपने शिष्यों के साथ देशाटन किया करते थे। इसी क्रम में वे एक बार वैशाली पधारे। आम्रपाली ने भी उनके बारे में खूब सुन रखा था इसीलिए वह स्वयं भगवान बुद्ध के समक्ष उपस्थित हुई और उनसे भोजन का निमंत्रण स्वीकारने का आग्रह किया। आम्रपाली को आदत थी कि कोई भी उसकी बात टाल नहीं सकता था, पर भगवान बुद्ध ने उससे कहा कि मैं अवश्य तुम्हारे पास आउंगा, पर अभी नहीं, जब उचित समय आएगा, तो तुम्हें मुझे बुलाना नहीं पड़ेगा। आम्रपाली को काफी झटका लगा, पर उसे विश्वास था कि उसका सौंदर्य और प्रभुत्व एक दिन बुद्ध को उसके पास खींच लाएगा, सो वह प्रतीक्षा करने लगी।
आम्रपाली को राज्य से निष्कासित कर दिया गया
कालच्रक ने अपनी गति से करवट ली और आम्रपाली पर पड़ोसी राजा से प्रेम के वजह से राजद्रोह का अपराध आरोप लगा और उसके उपरांत वैशाली की राजसभा ने आम्रपाली को राज्य से निष्कासित कर दिया और देखते ही पत्थर मारने का आदेश जारी कर दिया। अपने अपराध का दंड भुगत कर भूखी-प्यासी आम्रपाली दयनीय स्थिती में अपनी मृत्यु की कामना कर रही थी और घायल अवस्था में सड़क किनारे पड़ी थी। ऐसे में उसे किसी ने बहुत ही मधुर स्वर में पुकारा। आम्रपाली ने पाया कि उसके सामने किशोर आयु का एक सुंदर भिक्षुक खड़ा है। वह भगवान बुद्ध का प्रिय शिष्य आनंद था। उसने आम्रपाली से कहा कि भगवान बुद्ध ने आपको संघ में बुलाया है और कहा है कि उचित समय आ गया है। आम्रपाली की आंखों से आंसू बह निकले और वह समझ गई कि भगवान के उचित समय कहने का क्या आशय था। इसके साथ ही आम्रपाली ने भौतिक जीवन को छोड़कर वैराग्य ले लिया और बौद्ध संघ की शरण में चली गई।
इस कथा से शिक्षा
तो देखी आपने समय की शक्ति इसीलिए समय की कीमत समझिए। जब अच्छा समय आए, तो घमंड ना करें और जब बुरा समय आए, तो हताश ना हों क्योंकि समय कभी एक सा नहीं रहता सदा ही परिवर्तन होते रहता है।