आज हम IPC के एक्ट 498 A के बारे में बताएगे कि आखिर क्या है ये एक्ट । सबसे पहले हम आपको बता दे कि ये एक्ट महिलाओ को उत्पीड़न (Women Harassment) रोकने और उन्हें उनके अधिकार दिलाने के लिए हमारे देश में कई कानून (Law) पारित हुए हैं। ऐसा ही एक कानून है एक्ट 498 A आइए समझते है। एक्ट 498 A क्या है और इसका उपयोग महिलाए कैसे कर सकती हैं।
Section 498 A
ये लॉ कब बना है ?
ये लॉ 1983 में देश के संसद से पास हुआ है। 1983 का दौर ऐसा था जब महिलाओं के विरुद्ध हिंसा (Domestic Violence) और उन्हें दहेज (Dowry) के लिए प्रताड़ित करने के केस लगातार बढ़ रहे थे। ऐसे में महिलाओ ने आंदोलन किया है , जिसके बाद भारतीय दंड संहिता (IPC) में यह लॉ वजूद में आया। जिसके तहत महिलाओं को यह शक्ति प्रदान की गई कि वह दहेज (Dowry) की मांग के लिए अपने पति और उनके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता करने पर इस कानून (Law) के तहत अपना बचाव कर सकती हैं। किंतु कड़वी सच्चाई ये भी हमारे देश में कितना कड़ा कानून बन जाए। किंतु उसकी उद्देश्य कभी पुरा नहीं सका। उदाहरण तौर देखिए ACT 498 A के आने बाद भी दहेज के नाम प्रताड़ित किया जाता है। यहाँ तक की दहेज हत्या का मामले लगातार सामने आ रहे है। IPC के एक्ट 498 A का कई बार दुरुपयोग किया गया है। कानून उद्देश्य आजतक पुरा नहीं हो सका।
Kya hai ACT 498 A
जब ये कानून बन रही थी , उस समय ये महसूस किया गया है कि IPC के सामान्य प्रावधान महिलाओं के विरुद्ध अत्याचारों से रोकने में पर्याप्त नहीं थे। इसलिए IPC में धारा 498 A को शामिल किया गया। ऐसे में दहेज के लिए प्रताड़ित बेटियों के लिए यह कानून सुरक्षा कवच के तरह माना गया।लेकिन धीरे-धीरे लोग इसका उपयोग बढ़ा। साथ-साथ यह भी देखा गया कि लोगों ने इस कानून का दुरुपयोग करना भी शुरू कर दिया। यह वर पक्ष के लोगों को डराने के लिए शस्त्र के रूप में काम करने लगा।ऐसे में इस कानून में समय पर बदलाव किया गया।
देश में हर घंटे में एक महिला दहेज की वजह से मौत के शिकार होती
ऐसे दहेज विरुद्ध कानून तो 1983 में ही बन चुकी थी। किंतु जबतक हमारे समाज सोच नहीं बदलती है , तबतक दहेज संबंधी अपराध को हम नहीं रोक पाएगे।
आज दौर में भी देश में औसतन हर घंटे में एक महिला दहेज संबंधी कारणों से मौत का शिकार होती है। और वर्ष 2007 से 2011 के बीच इस प्रकार के मामलों में काफी तेजी देखी गई थी। महिलाओं के विरुद्ध बढ़ती Domestic Violence विशेष रूप से युवा, नव विवाहित दुल्हन जलने की बढ़ती घटनाएं हर किसी के लिए चिंता का विषय बन चुकी है। वकई हमारे 21 सदी समाज में दहेज भी कैंसर जैसी घातक हो चुकी है ।
सजा के नियम
दहेज उत्पीड़न (Women Harassment) को
एक्ट 498 A के तहत गंभीर अपराध माना गया है। इसमें दोषी पाए जाने पर अधिकतम तीन साल की सजा तक का प्रावधान है। वहीं अगर शादीशुदा महिला की मौत शादी के 7 साल के दौरान हो जाती है और जब तक यह साबित न हो जाए कि मौत किस कारण से हुई है तो यह मानकर चला जाता है कि लड़की की मौत संदिग्ध हालत में हुई है। यह मामला पुलिस आईपीसी की एक्ट 498 A /302/304 बी के तहत केस दर्ज करती है। आपको ये बता दे कि किसी भी महिला की मौत अगर शादी के सात साल के अंदर हुई है तो अदालत यह मान लेगी कि मौत दहेज हत्या के कारण हुई है। ऐसे मे IPC एक्ट 498 A /302/304 बी के तहत केस दर्ज किया जाएगा।
कानून का दहेज उत्पीड़न जैसा कि आप जानते हैं कि हमारे देश में हर कानून दुरुपयोग होता है। कुछ ऐसे ही एक्ट 498 ए का दुरुपयोग किया जाता है। ऐसे में 2014 में सुप्रीम कोर्ट में अर्नेश कुमार बनाम बिहार सरकार मामले में 498 A पर सुनवाई करते हुए इसके ‘दुरुपयोग पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए। तब अदालत ने कहा था कि एक्ट 498 A का महिलाएं दुरुपयोग कर रही हैं। वे इसका गलत तरीके से इस्तेमाल करती हैं। नतीजतन झूठे केस दर्ज किए जाते हैं। इस कानून को थोड़ा विस्तार करते हुए, अब अगर कोई महिला पुलिस या मजिस्ट्रेट के पास एक्ट 498 A के तहत शिकायत करती तो उसकी शिकायत परिवार कल्याण समिति के पास भेज दी जाती है उसके बाद प्रताड़ित महिला की शिकायत की पड़ताल का सबसे पहले इसी समिति को करनी होती है। पहले पुलिस परिवार वालों को शिकायत पर गिरफ्तार कर लेती थी। लेकिन अब कहा गया कि जब तक पड़ताल ने हो जाए और ससुराल वाले दोषी न हो तब तक पुलिस किसी की गिरफ्तारी नहीं कर सकती थी। दहेज उत्पीड़न कानून एक अच्छी सोच तहत लाए गया। किंतु सच्चाई ये है कि दुरुपयोग किया जाता है , और इस कानून से दहेज प्रथा समाप्त भी नहीं हो रही है। हम दोष किसी कानून या सरकार नहीं दे सकते है , बल्कि कि हमारी समाज की सोच आज भी नहीं बदली है। दहेज प्रथा सभी जाति व धर्म में है।