Raksha Bandhan 2022: नमस्कार दोस्तों रक्षा बंधन भाई-बहन का प्रेम का अटुट संबंध को दर्शाता है। जैसा कि जानते हैं भारत में श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को राखी श्रावणी, सावनी, और सलूनों के नाम से भी जाना जाता है।

आईए जानते हैं कि रक्षा बंधन शुरूआत कब हुई थी?
दोस्तों जैसा कि जानते हैं हमारे देश में राखी त्यौहार बड़े उत्साव के साथ मनाए जाता है। दोस्तों आपको बता दे कि रक्षा त्यौहार सिंधु घाटी की सभ्यता से जुड़ा है। बहन द्वारा भाई की कलाई पर राखी बांधने का सिलसिला बहुत ही प्राचीन है। आपको एक बात जानकर आश्चर्य होगी कि राखी की परम्परा सगी बहनों ने आरंभ नहीं की थी। तब किसने शुरू किया राखी का चलन? आइए जानते विस्तार से राखी का इतिहास (History of Rakhi)
Raksha Bandhan 2022
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6 हजार साल पुरानी परंपरा
इतिहास (history) के पन्नों को देखें तो इस फेस्टिवल की शुरुआत लगभग (almost) 6 हजार साल पहले बताई गई है। उसके कई सबुत भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं। रक्षा बंधन पर इतिहास में एक और उदाहरण है कि कृष्ण व द्रोपदी को माना जाता है। भागवान श्री कृष्ण ने दुष्ट राजा शिशुपाल को मारा था। युद्ध के दौरान कृष्ण के बाएँ हाथ की अँगुली से खून बह रहा था। इसे देखकर द्रोपदी बेहद दुखी हुईं और उन्होंने अपनी साड़ी का टुकड़ा चीरकर कृष्ण की अँगुली में बाँधा जिससे उनका खून बहना बंद हो गया।उसी पल से श्री कृष्ण ने द्रोपदी को अपनी बहन स्वीकार कर लिया था। वर्षों बाद जब पांडव द्रोपदी को जुए में हार गए थे और भरी सभा में उनका चीरहरण हो रहा था तब कृष्ण ने द्रोपदी की इज्जत बचाई थी।
Raksha Bandhan 2022
दोस्तों इस बार रक्षा बंधन कब है (Raksha Bandhan 2022 Date)
दोस्तों इस बार रक्षा बंधन त्यौहार 3 अगस्त को मनाया जाएगा। आपको बता दे कि इस बार श्रावन का आखिरी सोमवार भी है । उसके साथ ही 3 अगस्त को श्रावन की पूर्णिमा भी है। इस बार रक्षाबंधन के दिन सर्वार्थ सिद्धि और आयुष्मान दीर्घायु का संयोग भी बन रहा है जिसकी वजह से इस बार का रक्षाबंधन शुभ रहने वाला है।Raksha Bandhan 2022
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रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त क्या ? और क्या बन रहा रक्षाबंधन के दिन महासंयोग?
राखी बांधने के समय भद्रा नहीं होनी चाहिए कहते हैं कि रावण की बहन ने उसे भद्रा काल में ही राखी बांध दी थी इसलिए रावण का विनाश हो गया। 11 अगस्त को भद्रा सुबह शाम 05:17 बजे से शाम 06:18 बजे तक रहेगा. वहीं रक्षा बंधन भद्रा मुख शाम 06:18 बजे से लेकर रात 8 बजे तक रहेगा| राखी का फेस्टिवल पंचांग के मुताबिक साल 2022 में रक्षा बंधन 11 अगस्त, गुरुवार को मनाया जाएगा| पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 11 अगस्त को सुबह 10 बजकर 38 मिनट से होगी. वहीं पूर्णिमा तिथि का समापन 12 अगस्त, शुक्रवार को सुबह 7 बजकर 05 मिनट पर होगा|11 अगस्त, गुरूवार सुबह 08 :51 बजे से शाम 09 :17 बजे तक.रक्षा बंधन के लिए 12 बजे बाद का समय: – 05 :17 बजे से 06 :18 बजे तक| दोस्तों इस राखी पर महासंयोग बन रहा है, जी हाँ दोस्तों रक्षाबंधन के दिन बहुत ही अच्छे ग्रह नक्षत्रों का संयोग बन रहा है इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। इस संयोग में सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। उसके अलावा इस दिन आयुष्मान दीर्घायु योग है। यानी भाई-बहन दोनों की आयु लंबी हो जाएगी. 3 अगस्त को चंद्रमा का ही श्रवण नक्षत्र है। मकर राशि का स्वामी शनि और सूर्य आपस मे समसप्तक योग बना रहे हैं।शनि और सूर्य दोनों आयु बढ़ाते हैं. ऐसा संयोग 29 साल बाद आया है|Raksha Bandhan 2022
धर्मराज युधिष्ठिर ने रक्षा बंधन कथा
ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
दोस्तों इस मंत्र के पीछे भी एक महत्वपूर्ण कथा है, जिसे प्रायः रक्षाबंधन की पूजा के समय पढ़ा जाता है। एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से ऐसी रक्षाबंधन कथा सुनने की इच्छा प्रकट की, जिससे सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती हो।उसके उत्तर में श्री कृष्ण ने उन्हें यह कथा सुनायी
Raksha Bandhan 2022
प्राचीन काल में देवों और असुरों के बीच लगातार 12 वर्षों तक संग्राम हुआ। ऐसा पता चल रहा था कि युद्ध में असुरों की विजय होने को है। दानवों के राजा ने तीनों लोकों पर कब्ज़ा कर स्वयं को त्रिलोक का स्वामी घोषित कर लिया था। दैत्यों के सताए देवराज इन्द्र गुरु बृहस्पति की शरण में पहुँचे और रक्षा के लिए प्रार्थना की। श्रावण पूर्णिमा को प्रातःकाल रक्षा-विधान पूर्ण किया गया। इस विधान में गुरु बृहस्पति ने ऊपर उल्लिखित मंत्र का पाठ किया। साथ ही इन्द्र और उनकी पत्नी ने भी पीछे-पीछे इस मंत्र को दोहराया। इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने सभी ब्राह्मणों से रक्षा-सूत्र में शक्ति का संचार कराया और इन्द्र के दाहिने हाथ की कलाई पर उसे बांध दिया। इस सूत्र से प्राप्त बल के माध्यम से इन्द्र ने असुरों को हरा दिया और खोया हुआ शासन पुनः प्राप्त किया। रक्षा बंधन को मनाने की एक अन्य विधि भी प्रचलित है।Raksha Bandhan 2022
महिलाएँ सुबह पूजा के लिए तैयार होकर घर की दीवारों पर स्वर्ण टांग देती हैं। उसके उपरांत वे उसकी पूजा सेवईं, खीर और मिठाईयों से करती हैं। फिर वे सोने पर राखी का धागा बांधती हैं। जो महिलाएँ नाग पंचमी पर गेंहूँ की बालियाँ लगाती हैं, वे पूजा के लिए उस पौधे को रखती हैं। अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधने के उपरांत वे इन बालियों को भाईयों के कानों पर रखती हैं। कुछ लोग इस पर्व से एक दिन पहले उपवास करते हैं। फिर रक्षाबंधन वाले दिन, वे शास्त्रीय विधि-विधान से राखी बांधते हैं। साथ ही वे पितृ-तर्पण और ऋषि-पूजन या ऋषि तर्पण भी करते हैं। कुछ क्षेत्रों में लोग इस दिन श्रवण पूजन भी करते हैं। वहाँ यह फेस्टिवल मातृ-पितृ भक्त श्रवण कुमार की याद में मनाया जाता है।जो भूल से राजा दशरथ के हाथों मारे गए थे। इस दिन भाई अपनी बहनों तरह-तरह के उपहार भी देते हैं। यदि सगी बहन न हो, तो चचेरी-ममेरी बहन या जिसे भी आप बहन की तरह मानते हैं, उसके साथ यह पर्व मनाया जा सकता है।
Raksha Bandhan 2022
रक्षा बंधन बहन-भाई के प्यार का पर्याय बन चुका है।ऐसा भी कहा जाता है कि यह भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को और गहरा करने वाला पर्व है। एक और जहां भाई-बहन के प्रति अपने दायित्व निभाने का वचन बहन को देता है, तो दूसरी ओर बहन भी भाई की लंबी उम्र के लिये उपवास रखती है। इस दिन भाई की कलाई पर जो राखी बहन बांधती है वह सिर्फ रेशम की डोर या धागा मात्र नहीं होती बल्कि वह बहन-भाई के अटूट और पवित्र प्रेम का बंधन और रक्षा पोटली जैसी शक्ति भी उस साधारण से नजर आने वाले धागे में निहित होती है।Raksha Bandhan 2022
हमारे तरफ से आप सभी को भाई-बहन के अटूट और पवित्र प्रेम का बंधन रक्षा बंधन की ढेर सारी शुभकामनाएं व बधाई हो।Raksha Bandhan 2022