mathura shri krishna birth place Controversy: अयोध्या में भागवान श्री राम के जन्मभुमि पर भव्य मंदिर के निर्माण हो रहा है। लेकिन इन दिनो श्री कृष्ण जन्मभुमि के विवाद भी सियासत गर्म है। आज हम आपको बताते जा रहे श्री कृष्ण जन्मभुमि विवाद की संपुर्ण कहानी।

आपको बताते चले कि जहाँ पर श्री कृष्ण जन्मभुमि मंदिर है वहाँ पर वास्तव में श्री कृष्ण जन्मभुमि है ही नहीं । infact जहाँ पर भागवान श्री कृष्ण के मूल जन्म स्थान है। जिसे हम कंस का कारागार कहते है । वहाँ पर वर्तामान में ईदगाह मस्जिद है । आज के इस लेख में हम आपको ये भी बताए गे कि 1968 समझौता क्या था ? आज के इस लेख में सबसे पहले आपको संक्षिप्त में बताते है कि श्री कृष्ण जन्मभुमि विवाद क्या है?
mathura shri krishna birth place Controversy
श्री कृष्ण जन्मभुमि विवाद
मान्यता है कि श्रीकृष्ण का जहां जन्म हुआ था। उसी जगह पर उनके प्रपौत्र बज्रनाभ ने श्रीकृष्ण को कुलदेवता मानते हुए मंदिर बनवाया। सदियों बाद महान सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने वहां भव्य मंदिर निर्माण करवाया। उस मंदिर को मुस्लिम लुटेरे महमूद गजनवी ने साल 1017 में आक्रमण करके तोड़ा और मंदिर में मौजूद कई टन सोना ले गया। उसके बाद साल 1150 में राजा विजयपाल देव के शासनकाल में एक भव्य मंदिर निर्माण करवाया गया। इस मंदिर को 16 वीं शताब्दी की शुरुआत में सिकंदर लोदी के शासन काल में नष्ट कर डाला गया। उसके बाद 125 साल बाद जहांगीर के शासनकाल में ओरछा के राजा वीर सिंह बुंदेला ने उसी जगह श्रीकृष्ण के भव्य मंदिर का निर्माण कराया। श्रीकृष्ण मंदिर की भव्यता से बुरी तरह चिढ़े औरंगजेब ने 1669 में मंदिर तुड़वा दिया और मंदिर के एक हिस्से के ऊपर ही ईदगाह का निर्माण करवाया दिया गया। ये थी श्री कृष्ण जन्मभुमि विवाद।
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याचिका में क्या कहा गया है?
भगवान श्रीकृष्ण का मूल जन्म स्थान कंस का कारागार था। कंस का कारागार (श्रीकृष्ण जन्मस्थान) ईदगाह के नीचे है। भगवान श्री कृष्ण की भूमि सभी हिंदू भक्तों के लिये पवित्र है। विवादित जमीन को लेकर 1968 में हुआ समझौता गलत था। कटरा केशवदेव की पूरी 13.37 एकड़ जमीन हिंदुओं देना चाहिए ।
हम इस मामले को तभी बेहतर तरीके समझ पाएगे , जब इतिहास में जाएगे ।
1804 में अग्रेजो ने ईस्ट इंडिया कंपनी ने कटरा की ज़मीन को नीलाम किया था और इसके खरीदार थे बनारस के राजा पटनीमल। यह वही राजा जिन्होने यहां पर मंदिर बनवाने का प्रस्ताव रखा। लेकिन यह हो न सका और इस जमीन का हक़ राजा के वारिसों के पास ही रहा। अब हम आपको बताते है कि 1935 में मुस्लिमों ने 13.37 एकड़ ज़मीन पर केस लड़ा लेकिन इलाहबाद हाई कोर्ट ने राजा के वारिस राज कृष्ण दास के हक़ में फैसला सुनाया। नौ साल बाद पंडित मदनमोहन मालवीय ने 13000 रुपए में यह ज़मीन को राजा कृष्ण से खरीदा, जिसमें जुगलकिशोर बिड़ला ने आर्थिक सहायता दी थी। मालवीय के मृत्यु के बाद बिड़ला ने यहां श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट बनाया, जिसे श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के नाम से जाना गया। बिड़ला ने जयदयाल डालमिया के सहयोग से इस ज़मीन पर मंदिर का निर्माण करवाया और यह निर्माण 1982 में जाकर पूरा हो सका। अभी तीसरी पीढ़ी के अनुराग डालमिया ट्रस्ट के जॉइंट ट्रस्टी हैं।
अब हम आपको बताते है कि कैसे 1968 का समझोता illegal है?
1951 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट बनाया गया और यह निश्चित किया गया कि वहां दोबारा भव्य मंदिर का निर्माण होगा। और ट्रस्ट उसका प्रबंधन करेगा। इसके बाद 1958 में श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ नाम की संस्था का गठन किया गया था। कानूनी तौर पर इस संस्था को जमीन पर मालिकाना हक हासिल नहीं था, लेकिन इसने ट्रस्ट के लिए तय सारी भूमिकाएं निभानी शुरू कर दीं। इस संस्था ने 1964 में पूरी जमीन पर नियंत्रण के लिए एक सिविल केस दायर किया। लेकिन 1968 में खुद ही मुस्लिम पक्ष के साथ समझौता कर लिया। इसके तहत मुस्लिम पक्ष ने मंदिर के लिए अपने कब्जे की कुछ जगह छोड़ी और उन्हें (मुस्लिम पक्ष को) उसके बदले पास की जगह दे दी गई।
Place of worship Act 1991 kya h??
श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर धार्मिक अतिक्रमण के विरुद्ध केस को लेकर सबसे बड़ी रुकावट Place of worship Act 1991 भी है. वर्ष 1991 में नरसिम्हा राव सरकार में पास हुए Place of worship Act 1991 में कहा गया है कि 15 अगस्त 1947 को देश की स्वतंत्रता के समय धार्मिक स्थलों का जो स्वरूप था, उसे बदला नहीं जा सकता। यानी 15 अगस्त 1947 के दिन जिस धार्मिक स्थल पर जिस संप्रदाय का अधिकार था। आगे भी उसी का रहेगा। इस एक्ट से अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि को अलग रखा गया था। आपको सबसे पहले ये बताते है कि Place of worship Act 1991 श्री कृष्ण जन्मभुमि पर लागू नहीं हो सकती है। क्योंकि 1968 हुए समझोता पुरी तरह से illegal है। इस पहले अदालत के सभी फैसलो हिन्दू पक्ष की जीत हुई । जमीन का
हक़ हिन्दू राजा के वारिसों के पास ही है। आपको ये बता दे कि जन्मस्थान संघ जिस ने ये समझोता किया है , उसका श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान से कुछ लेना देना है। ना ही उसके पास जमीन का मालिकाना हक था। फिर वो 1968 में समझोता कैसे कर सकता है। इसी तरह से 1968 का समझोता पुरी तरह illegal है।