वैसे आज इस लेख में हम जानने का प्रयास करेंगे कि चीन पिछे हटने की वजह क्या है ??
जब प्रधानमंत्री अचानक लेह में विस्तारवाद के सोच रखने वाले चाईना को कड़ा जवाब दिया
जब प्रधानमंत्री अचानक लेह पहुंचे पीएम मोदी की लेह यात्रा एक तीर से कई निशाना साधने जैसा है। ये चीन दौरा असल में चीन बहुत बड़ा संदेश दे दिया था। जब पीएम नरेन्द्र मोदी (Narendra modi) कहा कि विस्तारवाद का युग खत्म हो चुका है। विस्तारवाद के सोच रखने वालो कि सदा मिट जाते या फिर ये सोच छोड़ना पड़ता है। इसी से पीएम नरेन्द्र मोदी की चीन कड़ा सदेंश दे चुके थे। जब कहा कि अब विकासवाद का समय आ गया है। तेजी से बदलते हुए समय में विकासवाद ही प्रासंगिक है। विकासवाद के लिए अवसर है और विकासवाद ही भविष्य का आधार है। दुसरी बड़ी बात जब भागवान श्री कृष्ण याद करते हुए पीएम मोदी ने ये कहा कि बांसुरी बजाने वाले श्री कृष्ण पुजा करते है और सुदर्शन चक्र धारी श्री कृष्ण को भी पुजा करते है इसमें पीएम मोदी सख्त संदेश देते दिखे साफ शब्दो शत्रु देश को बता दिया कि भारत शांति जरूर चाहता है किंतु अपनी संम्प्रभुता अंखडता से कोई समझौता कभी नही करेंगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लेह के भाषण उन में ग्लोबल लीडर दिख रहा था। उनके प्रतिद्वंद्वी (Rival) Xi Jinping में तानशाह ओर कमजोर नेता का छवि दिखता है।
चीनी सैनिक किसी बड़े युद्ध लड़ने काबिल नही
जैसा कि आप जानते कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहले दिन से ही अपना अग्रेसिव रूख था ओर यही पहला वजह था कि ड्रैगन भी डर कांपने लगा क्योंकि उसके बीस प्रतिशत सैनिकों का वजन भी जरूरत से ज्यादा है, और चीन के 25 प्रतिशत सैनिक, शराब के आदी हो चुके हैं। यानी चीन भले ही दुनियाभर में अपनी ताकत का दम भरता हो, लेकिन वो केवल उसका मायाजाल है और कुछ नहीं। असल में 45 प्रतिशत चीनी सैनिक युद्ध लड़ने के काबिल ही नही है भला वो देश भारत जैसे मजबुत देश को चुनौती कैसे दे सकता है। खुद ही चीनी सेना के अंदरूनी रिपोर्ट ये कहता है कि वास्तव में ड्रैगन की आर्मी भारत जैसी महाशक्ति युद्ध से लड़ने को तैयार ही नहीं हैं।
विस्तारवाद के सोच पर मोदी के विकासवाद नीति भारी पड़ गया
चीन सोच रहा था कि जैसे भारत के पहले सरकारे युद्ध बजाय लगान रूप जमीने दे देता था। उसी तरह इस बार आसानी जमीन पर कब्जा करने दे दिया जाएगा किंतु चीन ये भुल गया कि ये नया भारत अपने मजबुत इरादे मजबुत नेतृत्व क्षमता से आगे बढ़ने निर्णय ले चुका है , ये नया भारत है जो दुश्मनो के घर में घुसकर मारने विश्वास रखता है। वर्तमान भारत के सरकार के यही अग्रेसिव रूख इंटरनेशनल भू-माफिया (Land Mafia) ड्रैगन को कड़ा सदेंश था । ये नया भारत विकासवाद विश्वास रखता है और अगर कोई इस नया भारत को उकसाया तो उसके घर में घुसकर मारना भी जानता है। सच कहे तो तो मोदी के विकासवाद नीति पर चीन के विस्तारवाद नीति पर भारी पड़ गया।
ड्रैगन के पिछे हटने की वजह
कई लोग ये जानना चाहते है कि चीनी सैनिक पिछे हटने की वजह क्या थी , इस पर मिडिया रिपोर्ट आई है उसे माने तो कमांडर स्तर की बातचीत में 30 जून को ही दोनो देशो के बीच सहमति बन गई थी। दुसरे तरफ से जानकारों माने तो ड्रैगन के पिछे हटना ड्रैगन के एक चालाकी हो सकता है, क्योंकि पिछले कुछ दिनों से मौसम भी चुनौती बना हुआ है और गलवान नदी भी उफान पर है। इसलिए अभी यह साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता कि चीनी सैनिक बातचीत में बनी सहमति के आधार पर ही पीछे गए हैं या फिर मौसम की चुनौती की वजह से। क्योंकि कल ही कुछ खबर आई थी कि चीन ने जिस नदी की धारा को बदलने का प्रयास किया था, उसकी वजह से वहां पर बाढ़ के हालात बन गए और पानी चीनी टैंटों में जा घुसा था।
Hindi न्यूज चैनल aajtak के माने तो भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने चीनी विदेश मंत्री और एनएसए वांग यी से फोन पर बात की, करीब दो घंटे की चर्चा में गलवान घाटी में तनाव कम करना तय हुआ।
भारत विदेश मंत्रालय क्या बयान दिया गया
इस बातचीत के उपरांत भारतीय विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) ने एक बयान जारी किया। जिसमें दोनों देशों के बीच क्या समझौता हुआ है उसके बारे में बताया गया।विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि दोनों देशों ने भारत और चीन बॉर्डर पर शांति स्थापित करने की बात कही है। ताकि दोनों देशों के बीच जारी मतभेद मनभेद ना बन सकें। इसी के साथ तय हुआ है कि दोनों देशों की सेनाएं LAC से अपने सैनिकों को हटाएंगी। इसके अंतर्गत पूरे बॉर्डर से फेज़ के मुताबिक सैनिकों की संख्या को कम किया जाएगा।उसके अलावा दोनों देशों की सेनाएं इस बात की प्रयास करेंगी कि गलवान घाटी जैसी परिस्थिती भविष्य में ना बन पाए।
15 जुलाई, 1962 के अख़बार की कटिंग आज वायरल हो रहा
आपको बता दे कि 15 जुलाई, 1962 के अख़बार की कटिंग आज वायरल हो रहा है। जिसमें चीनी सेना ने कदम पीछे खींचे अख़बार की हेडलाइन थी। और इसके तीन महीने उपरांत ही भारत-चीन युद्ध हो गया।
यानी चीन चीन पर भरोसा करने अर्थ अपने पैर पे कुल्हाड़ी मारना।
चीन पर हुए डिजीटल स्ट्राइक से चीन को मिला एक बड़ा झटका
चीन पर हुए डिजीटल स्ट्राइक से भारत ने चीन को एक बड़ा झटका दिया था, जिस से चीन अरबो नुकसान हुआ है। pm जानते हैं कि कोरोना काल में दुनिया चीन प्रति अग्रेसिव हो चुका है , कोविड १९ को जन्म देने वाला देश चीन को कोविड 19 वजह GDP बहुत ज्यादा नुकसान हुई है ऐसे मौके पर भारत के डिजीटल स्ट्राइक से चीन को आर्थिक रूप बहुत बड़ा नुकसान हुआ। पुरे विश्व को मालूम है कि भारत दुनिया
का सबसे बड़ा बाजार (market) है। हमारे पास सबसे ज्यादा युवा आबादी भी है। जैसा कि में ने कुछ महीने पहले ही लेख लिखा था कि वो उचित समय आ चुका जब दुनिया सबसे बड़े बाजार (market) के साथ दुनिया सबसे बड़ी मैन्युफैक्चरिंग हब बने की तैयारी करना चाहिए ।
अगर आप ने वो लेख नही पढ़ा तो नीचे दिए गए Link पर जाईए-
covid 19 india : मेरे दृष्टिकोण जानिए कैसे आपदा काल भारत अवसर में बदल सकता है
वर्तमान समय चीन GDP को सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई
वर्तमान कोरोना काल में ड्रैगन की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) पर सबसे बुरा प्रभाव पड़ा है। आपको बता दे कि मार्च में समाप्त हुई पहली तिमाही में चीन की आर्थिक विकास दर में 6.8% की गिरावट दर्ज की गई है। जो साल 1970 के बाद जीडीपी विकास दर में सबसे बड़ी गिरावट है। एएफपी के एक सर्वे के मुताबिक, पूरे साल के लिए जीडीपी विकास दर का अनुमान घटकर 1.7% पर आ गया है, जो सन 1976 के बाद चीन की इकॉनमी का सबसे बदतर प्रदर्शन हो सकता है। कोविड १९ महामारी तथा इसे रोकने के लिए किए गए प्रयासों से चीन की रिटेल सेल्स और औद्योगिक उत्पादन को पहले ही बड़ा झटका लग चुका है। आपको बता दे सकल घरेलू उत्पाद (GDP ) गिरने की वजह से चीन कम्युनिस्ट पार्टी में Xi Jinping प्रति गहरी नाराजगी है।
सीधे सैन्य संघर्ष का जोखिम उठाना चीन के लिए आसान नहीं
गलवन घाटी से चीनी सैनिकों के पीछे हटने में सबसे बड़ा योगदान चीन को आमने-सामने के सैन्य संघर्ष के लिए तैयार होने का भारत का दो टूक संदेश माना जा रहा है। LAC पर चीन ने जिस तरह कई जगहों पर भारी संख्या में अपने सैनिकों और हथियारों को तैनात किया। उसके उपरांत भारत ने भी इसी अनुपात में अपने सैनिकों को अग्रिम मोर्चों पर तमाम-अस्त्र शस्त्रों के साथ उतार दिया। इसमें टैंकों, मिसाइलों से लेकर हाई स्पीड बोट भी शामिल हैं। सेना के साथ वायुसेना को भी हाई अलर्ट मोड में कर दिया गया और शनिवार को तो भारतीय वायुसेना के सुखोई, मिग, मिराज, जगुआर लड़ाकू जेट विमानों ने तो एलएसी पर अपने इलाके में उड़ान भर चीन को साफ संदेश दे दिया कि सैन्य ताकत के सहारे LAC को नये सिरे से परिभाषित करने की चीनी प्रयास का सैन्य तरीके से ही यथोचित जवाब देने में भारत सक्षम है। भारतीय नौसेना भी हिन्द महासागर में चीनी नौसेना को थामने के लिए पूरी तरह सतर्क है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बीते शुक्रवार अचानक लेह का दौरा कर न केवल हालात का सीधे जायजा लिया, बल्कि चीन को सख्त संदेश देते हुए चौंकाया भी। इसमें कोई दो राय नहीं कि चीन बड़ी सैन्य ताकत है मगर सीधे सैन्य संघर्ष का जोखिम उठाना उसके लिए भी आसान नहीं है।देश
पाकिस्तान के अलावा चीन के साथ नहीं खड़ा है दुनिया कोई भी देश
चीनी अतिक्रमण के विरुद्ध भारत की कूटनीतिक मोर्चे पर सक्रियता से भी चीन पर दबाव बढ़ा है। अमेरिका सीधे तौर पर लगातार चीन को घेर ही नहीं रहा बल्कि उसका साफ कहना है कि चीन अपने पड़ोसियों को परेशान कर रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति से लेकर विदेश मंत्री माइक पांपियो चीन पर खुलकर भारत का समर्थन कर रहे हैं। ये समझ पड़े नही है कोविड १९ की वजह पुरी दुनिया में चीन प्रति गहरी नाराजगी है।
आज एक ऐसी भी खबर आ रही अमेरिका ने खुलकर भारत का साथ दे दिया है। मिली जानकारी मुताबिक
भारत और चीन के बीच जारी संघर्ष में अमेरिका भारत के साथ खड़ा होगा। व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ़ स्टाफ मार्क मीडोज ने दक्षिण चीन सागर में अमेरिकी उपस्थिति को मजबूत करने के लिए दो एयरक्राफ्ट कैरियर भेजने के बाद ये बात कही उन्होंने सोमवार को फॉक्स न्यूज़ से कहा-“संदेश साफ है। हम खड़े होकर चीन या किसी अन्य देश को खुद को सबसे शक्तिशाली मानते हुए नियंत्रण लेने नहीं देंगे, चाहे वह उस क्षेत्र में हो या यहां पर। अमेरिकी सेना मजबूती से खड़ी हुई है और ऐसी खड़ी रहेगी। फिर चाहे ये भारत-चीन के बीच तनाव का मामला हो या दुनिया में कहीं और किसी संघर्ष का।
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चीन को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा बयान
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने चीन को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. ट्रंप का कहना है कि चीन के कारण अमेरिका और दुनिया को बड़ा नुकसान हुआ है। ट्रंप ने एक ट्वीट में लिखा- चीन के चलते अमेरिका और दुनिया को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा। ट्रंप का यह ट्वीट कोविड १९ वायरस के संबंध में है। दरअसल कई मौकों पर ट्रंप चीन पर कोरोना वायरस महामारी फैलाने का आरोप लगाते आए हैं। चीन के वुहान शहर से फैले कोरोना को लेकर ट्रंप ने एक बयान में कोरोना वायरस को ‘वुहान वायरस’ बताया था। उन्होंने सवाल किया कि चीन ने कोविड-19 के बारे में शुरुआती दौर में ही जानकारी क्यों नहीं दी और पूरी दुनिया में वायरस का प्रसार होने दिया।
दोस्तों चीन कभी भी भरोसा नही किया जा सकता है क्योंकि 1962 या फिर 2020 सदा ही विश्वासघाट किया है। एक शब्दो में समझे तो ड्रैगन कभी भरोसे काबिल नही रहा है।
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लेखक- shashi Kant yadav