Eknath Shinde Political Career: महाराष्ट्र के राजनीति में चल रही उटापटक आखिरकार समाप्त हो गया है। एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) अब राज्य के नए मुख्यमंत्री बन गये। इसके साथ ही करीब 10 दिनों से चल रही महाराष्ट्र के राजनीति ड्रामा समाप्त हो गया है। एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने अपने राजनीतिक सफर में बड़ी ऊंची छलांग लगाई है। इन्होंने पार्टी कार्यकर्ता के रूप में राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी और अब मुख्यमंत्री पद के मुकाम तक पहुंच गये हैं। शिंदे कभी ठाणे शहर में ऑटो चलाते थे। उन्होंने राजनीति में कदम रखते ही कम समय में ठाणे-पालघर क्षेत्र में पार्टी के प्रमुख नेता के तौर पर पहचान बनाई। उन्हें जनता के मुद्दों को आक्रामक तेवर से उठाने के लिए जाना जाता है।

ठाणे को कार्यक्षेत्र बनाया
सतारा जिले में रहने वाले एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने ठाणे जिले को अपना कार्यक्षेत्र बनाया। पार्टी की हिंदुत्ववादी विचारधारा और बाल ठाकरे से प्रभावित होकर शिंदे शिवसेना में शामिल हो गए। कोपरी-पंचपखाड़ी सीट से विधायक एकनाथ शिंदे सड़कों पर उतरकर महाराष्ट्र के सियासत में एक बड़े चेहेरे रूप पहचाने जाने लगे।
Eknath Shinde Political Career
एकनाथ शिंदे का जन्म एवं शुरुआती जीवन (Birth & Early Life)

एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) का जन्म 9 फरवरी 1964 को महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में हुआ था। उनके पिता का नाम संभाजी नवलू शिंदे एवं माँ का नाम अभीतक जानकारी नहीं मिली है। उनकी विवाह लता एकनाथ शिंदे से हुई है जो की एक बिज़नेसवूमेन है। उनका एक बेटा है, जिसका नाम श्रीकांत शिंदे है।
Eknath Shinde Political Career
105 विधायकों के बावजूद BJP ने शिंदे को क्यों बनाया मुख्यमंत्री, इसके पीछे के मास्टरस्ट्रोक को समझिए
राजनीति सफर एकनाथ शिंदे के

अगर शिंदे के राजनीतिक करियर की बात करें तो कोपरी-पांचपखाड़ी सीट से 4 बार विधायक चुने जा चुके हैं। वहीं 2014 और 2019 दोनों सरकार में वे मंत्री भी रहे हैं।इससे पहले 2004 और 2009 में भी वे विधायक रहे। साल 1980 में शिवसेना से बतौर शाखा प्रमुख हाथ मिलाया था। उन्होंने 1997 में सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया था, जब वे ठाणे निगम के कॉरपोरेटर चुने गए थे। उसके बाद वे ठाणे नगर निगम में कई पदों पर रहे और फिर 2004 में विधायक बनकर राज्य की सियासत में एंट्री लिया। फिर कई बार जीत दर्ज की और दो बार प्रदेश में मंत्री भी रहे। इससे पहले ठाकरे सरकार में महाराष्ट्र सरकार में नगर विकास मंत्री थे। वफादार शिव सैनिक के रुप में पहचान बनाने वाले शिंदे पार्टी के लिए जेल तक भी जा चुके हैं।
एक हादसे के बाद शिंदे सियासत को अलविदा

एक हादसे के बाद शिंदे सियासत को अलविदा कह दिया था। जब शिंदे पार्षद हुआ करते थे। सतारा में हुए एक हादसे में उन्होंने अपने 11 साल के बेटे दीपेश और 7 साल की बेटी शुभदा को खो दिया था। बोटिंग करते हुए एक्सीडेंट हुआ और शिंदे के दोनों बच्चे उनकी आंखों के सामने डूब गए थे। उस समय शिंदे के दूसरे बेटे श्रीकांत की उम्र केवल 13 साल थी। इस घटना से आहत हुए शिंदे ने सियासत सफर से किनारा कर लिया था। इस वक्त उनके राजनीतिक गुरु आनंद दिघे ने उन्हें संबल दिया और सार्वजनिक जीवन में फिर से लेकर आए।
संपत्ति और परिवार
2019 के विधानसभा चुनाव में दिए गए हलफनामे के अनुसार शिंदे के पास कुल 11 करोड़ 56 लाख से अधिक की संपत्ति है। इसमें 2.10 करोड़ से अधिक की चल और 9.45 करोड़ से अधिक की अचल संपत्ति घोषित की गई थी। उनके बेटे बड़े श्रीकांत भी सियासत में हैं। चुनावी हलफनामे में शिंदे ने स्वयं को कॉन्ट्रैक्टर और बिजनेसमैन बताया है। उनकी पत्नी भी कंस्ट्रक्शन का काम करती हैं। शिंदे ने विधायक के तौर पर मिलने वाली सैलरी, घरों से आने वाले किराए और ब्याज से होने वाली कमाई को अपनी आय का मुख्य स्त्रोत है। उसके मुताबिक उनके ऊपर कुल 18 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें आग या विस्फोटक पदार्थ से नुकसान पहुंचाने, गैरकानून तरीके से इकट्ठा हुई भीड़ का हिस्सा होना, सरकारी कर्मचारी के आदेशों की अवहेलना करने जैसे गंभीर आरोप हैं।चुनावी हलफनामे के अनुसार शिंदे के पास कुल 6 कारें हैं। इनमें से तीन शिंदे के नाम और तीन उनकी पत्नी के नाम पर हैं। शिंदे की पत्नी के नाम पर एक टैम्पो भी है। शिंदे की 6 कार के जखीरे में दो इनोवा, दो स्कॉर्पियो, एक बोलेरो और एक महिंद्र अर्मडा है। हथियारों में शिंदे के पास एक पिस्टल और एक रिवॉल्वर भी है।
ऑटो रिक्शा चलाते थे
शिवसेना का शक्तिशाली नेता बनने से पहले शिंदे ऑटो-रिक्शा चलाते थे। शिवसेना के साथ उनका जुड़ाव 1980 के दशक से है। 2001 के बाद शिंदे की लोकप्रियता काफी बढ़ गई। उन्होंने ठाणे और पूरे राज्य में शिवसेना को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई थी।