bihar politics update: पिछले दिनों जब नितीश कुमार एनडीए अलग हो गये उसके बाद से अटकलें तेज हुई नितीश कुमार फिर से पलटी मारेंगे या फिर नहीं? नई गठबंधन कितने दिन चलेगी। अब इस सवाल का उत्तर मिल गया है। जब लालू प्रसाद यादव नितीश कुमार के साथ हाथ मिलाएं तभी से सब लग रहा था कि कुछ तो डील हुआ है। लेकिन अब इसकी जानकारी सामने आ रही है।bihar politics update
खबर ये है कि नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड), लालू (Lalu Yadav) की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल में समा जाएगी? साल 2023 तक लालू-नीतीश मिलकर एक नई राजनीति दल बनाएंगे? तीर और लालटेन की जगह किसी तीसरे चुनाव चिन्ह पर 2024 का चुनाव लड़ा जाएगा?
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लालू बेटे हवाले करेंगे नितीश पार्टी और सत्ता
बिहार की राजनीति के लिए आनेवाला समय बहुत महत्वपूर्ण है। इस राजनीतिक उथल-पुथल पर ब्यूरोक्रेसी की भी नजर है। तभी तो नीतीश कुमार 11 दिनों तक दर्द से कराहते रहे और बिहार के अधिकारियों ने मीडिया से कहा कि मुख्यमंत्री (Nitish Kumar) को हल्की चोटें आईं है और वो ठीक हैं। 26 अक्टूबर को जब मुख्यमंत्री नीतीश पत्रकारों से मिले तो उन्होंने कुर्ता उठाकर अपनी चोट दिखाई और परेशानियों को बताया।
वास्तव में राज्य के नौकरशाह ये मान कर चल रहे हैं कि आनेवाले महीनों में नीतीश कुमार कुर्सी त्याग देंगे और उनके उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव होंगे। उसी हिसाब से राज्य की IAS लॉबी अपनी अपनी फिल्ड सेट करने में लगी है। तो भला नीतीश की चिंता क्यों करे? नीतीश कुमार के सामने भी धर्म संकट है। जिस लालू के विरुद्ध लड़कर उन्होंने पहचान हासिल की, उन्हीं के हवाले पार्टी और सत्ता दोनों कर दें, ये नीतीश कुमार का दिल कभी स्वीकार नहीं करेगा ये बातें लालू प्रसाद यादव भी जानते थे। इसलिए आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने एक नया फॉमुला लेकर आएं वो फॉमुला ये है कि आरजेडी और जदयू के साथ ही पार्टी का सिंबल भी इतिहास बन जाएगा। यानी दोनों दलों को समाप्त करके एक नया दल बनाए जाएगा। अर्थात आरजेडी और जदयू दोनों दल विलय होगा लेकिन वो दोनों एक नया दल बन के उभेरे गा।bihar politics update
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न तो तीर रहेगा, ना ही लालटेन!
वास्तव में दिल्ली में 10 अक्टूबर 2022 को आरजेडी के राष्ट्रीय सम्मेलन में लालू यादव 12वीं बार राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। तभी भोला यादव ने पार्टी संविधान में संशोधन का प्रस्ताव रखा। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच पास भी हो गया। तब उतनी चर्चा नहीं हुई। बड़ी चालाकी से मीडिया को जारी बयान में इसका जिक्र नहीं किया गया। इस संशोधन में राष्ट्रीय जनता (RJD) का नाम बदलने और चुनाव सिंबल चेंज करने का अधिकार लालू यादव के उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव को सौंप दिया गया। छोटे नेताओं को किसी भी बड़े मुद्दे पर बोलने से मना कर दिया गया। अब अनुमान लगाया जा रहा है कि 2023 में लालू-नीतीश मिलकर एक नई पार्टी बनाएंगे। जिसमें जेडीयू और आरजेडी मर्ज कर जाएगी। न तो तीर रहेगा, ना ही लालटेन। इन तमाम उथल-पुथल के बीच नीतीश की पार्टी जेडीयू ने सांगठनिक चुनाव की घोषणा कर दी। जिसके बाद इन संभावनाओं को और भी बल मिल रहा है। ख़बरें ये है कि इस नई पार्टी कई और क्षेत्रीय दल शामिल हो सकते है। असल में इन क्षेत्रीय दलों को भी पता अपना वजूद भाजपा के सामने बचाना है, तो सबको एक होना पड़ेगा। याद करिए बिहार के राजधानी पटना में ही जेपी नड्डा ने कहा था कि एक दिन केवल भाजपा ही बच जाएगा। अर्थात सारे क्षेत्रीय दल समाप्त हो जाएंगे, जिसके बाद बिहार के राजनीति में नितीश कुमार ने एनडीए अलग होने का फैसला लिया गया था। खैर एनडीए अलग होने का नितीश कुमार का फैसला काफी पहले ले लिया था। बस बहाना जेपी नड्डा का बयान को बनाए।
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नितिश कुमार सामने जदयू वजूद बचाने का चुनौती
बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार सामने अपनी पार्टी का वजूद बचाने का सबसे बड़ा चुनौती है। नितिश कुमार अच्छे से जानते हैं कि उनके बाद इस पार्टी का कोई वजूद नहीं है। अर्थात जदयू तभीतक जबतक नितीश कुमार है उनके बाद जदयू का कोई वजूद नहीं है। भाजपा भी नितीश कुमार के करीबी आरसीबी सिंह जरिए जदयू विलय भाजपा करवाना चाहता था लेकिन नितीश कुमार अस्वीकार कर दिया। जहां अक्टूबर में आरजेडी ने अपने अधिवेशन में सब कुछ पक्का कर लिया है। पार्टी से जुड़े सारे अधिकार अपनी मुट्ठी में लेकर तेजस्वी यादव बैठ गए। अब दिसंबर में जेडीयू का अधिवेशन दिल्ली में है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इसमें, नीतीश कुमार सारे अधिकार अपने पास जुटा लेंगे। इसके बाद तीसरी पार्टी की डायग्राम सामने आ जाएगा। मतलब 2023 में कुछ बड़ा सियासी उलटफेर होने की सबसे ज्यादा संभावना है। नीतीश कुमार के सामने JDU का वजूद बचाने की चुनौती है। वहीं, RJD ने पार्टी का नाम और चुनाव सिंबल बदलने का अधिकार तेजस्वी यादव को दे दिया है।
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तेजस्वी को सत्ता सौंपेंगे नीतीश?
नीतीश कुमार पर JDU को RJD में विलय करने का दबाव है। कहा तो ये जा रहा है कि इसी शर्त पर लालू प्रसाद दोबारा नीतीश कुमार के साथ आने को तैयार हुए। चर्चा तो ये भी है कि नीतीश कुमार ने ही ये शर्त रखी कि आरजेडी को भी अपना नाम और सिंबल छोड़ना होगा। अर्थात एक नई पार्टी के साथ दोनों दल 2023 में सामने आ सकते हैं। भाजपा को सबक सिखाने के लिए नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद की शर्तों को उस समय तो मान लिया लेकिन अब नीतीश दिल से बिल्कुल नहीं चाहते कि जदयू का वजूद समाप्त हो जाए । जबकि लालू चाहते हैं कि नीतीश कुमार जदयू और बिहार का मोह त्याग कर अब दिल्ली की ओर अपना रूख करें। तेजस्वी यादव को बिहार का सत्ता सौंप दे।
महंगाई पर निबंध
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दिसंबर में JDU का महामंथन
वैसे नीतीश कुमार फिलहाल अपनी बातों से पीछे हटते दिखना नहीं चाहते हैं। जेडीयू में सांगठनिक चुनाव कराए जाने की घोषणा कर दी गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी ने संगठनात्मक चुनाव के लिए शेड्यूल जारी कर दिया। आने वाले 13 नवंबर से जेडीयू के सांगठनिक चुनाव की शुरुआत हो जाएगी। नवंबर के महीने में ही जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव करवाए जाएगा। जबकि राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव दिसंबर के महीने में करा लिया जाएगा। 10 और 11 दिसंबर को दिल्ली में जेडीयू का खुला अधिवेशन आयोजित होगा। जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा कर दी जाएगी। फिलहाल जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह हैं।
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जदयू और आरजेडी विलय एक मजबूत दल बनेगा उभरे गा
जदयू और आरजेडी विलय होता है तो एक बड़ी वोट बैंक इन दोनों हाथ लग जाएगा। इसके बाद ये पार्टी राष्ट्रीय पार्टी बन सकता है , जैसा कि हम आपको इसी लेख में बता चुके हैं कि इसमें कुछ और क्षेत्रीय दल भी शामिल होंगे। इस नई पार्टी नाम अभी तय नहीं है। लेकिन संभावना है कि इस साल के अंत में या अगले साल नई पार्टी का नाम तय कर लिया जाएगा। अगर नितीश अपने बात से नहीं पलटें तो भाजपा के लिए नितीश लालू के नई पार्टी मुश्किलें खड़ा कर सकता है।bihar politics update