ZameenJihad: जम्मू-कश्मीर का जमीन जैहाद पर जाने वास्तवविकता तथ्यो के साथ स्पेशल रिपोर्ट में
दोस्तों जैसा कि Zee news editor in chief सुधीर चौधरी (Sudhir Chaudhary) लगातार ही
जिहाद सच बता रहे है जिसके बाद उन्होंने धमकी मिल रही है।
ऐसे कई लोगो के मन प्रश्न उठ रहे क्या वास्तव में जैहाद होता है आज हम इसी प्रश्न उत्तर देंगे हम आपको तथ्यो के साथ जैहाद वास्तविकता में बताए गे कई साक्ष्य (evidence) आपके सामने रखेगे आज जैहाद विरुद्ध इस मुहिम आरंभ हम कर रहे है़।
हम साफ शब्दो बता दे हमारा मकसद इस स्पेशल रिपोर्ट जरिए किसी भी धर्म विरुद्ध किसी धार्मिक भावनाए कि आहट पहुँचाने में नही है बल्कि साक्ष्य (evidence) के साथ वास्तविकता बताने प्रयास कर रहे हैं।
चलिए आरंभ करते आज इस स्पेशल रिपोर्ट कि जम्मू-कश्मीर में रोशनी एक्ट तहत एक बड़ा घोटाला हुआ इसमें जम्मू-कश्मीर सरकार बड़े नेता और प्रशासन कई बड़े अफसर भी शामिल है। किंतु इसमें चौकाने वाले वाला बात ये है कि एक विशेष समुदाय लोगो कौड़ियों के भाव जमीन बेच दी गईं। प्रश्न ये उठा है कि ये जमीने जम्मू हिन्दू बहुसंख्यक में इलाको में एक विशेष समुदाय क्यों दिया गया है। तो क्या ये जम्मू के हिन्दू बहुसंख्यक क्षेत्रों डेमोग्राफी बदलने की षड्यंत्र रचा जा रहे है। रोशनी एक्ट अन्तर्गत जम्मू में 25 हजार लोग बसाए गए जबकि कश्मीर में सिर्फ 5 हजार लोगो को बसाया गया था।
वैसे हमारे देश में सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा करना जन्मसिद्ध अधिकार समझा जाता है। किंतु इसी देश के बहुत ही संवेदनशील राज्य में अगर ये जन्मसिद्ध अधिकार सिस्टम के ही आशीर्वाद से जेहाद का हथियार बन जाए तो आप क्या बोलेगे?यही हुआ जम्मू-कश्मीर में पिछले 17 वर्षो के दौरान इस घोटाले को अंजाम दिया था।
ये वो जेहाद है जिसके दम पर पाकिस्तान भारत को तोड़ने का सपना बरसों से देख रहा है। जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगी कि कैसे देश के साथ इतनी बड़ी षडयंत्र बरसों तक होती रही और किसी ने इस पर ध्यान तक नहीं दिया।आप सोच सकते हैं कि एक राज्य में कानून की आड़ में धर्म के आधार पर डेमोग्राफी को बदलने की प्रयास होती रही और सरकारें इसे रोकने की बजाय प्रलोभन देती रहीं।
वर्ष 2001 में तत्कालीन नेशनल कांफ्रेंस सरकार ने रोशनी एक्ट बनाया था और इससे इकट्ठा होने वाली धनराशि को बिजली क्षेत्र के प्रोजेक्ट में लगाने की बात कही। एक्ट में प्रावधान था कि सिर्फ उन्हीं लोगों को जमीनों का मालिकाना अधिकार दिया जाएगा, जिनके पास 1999 के पहले से सरकारी जमीन पर कब्जा है परंतु नेताओ की नीयत बदलते समय नहीं लगा।वर्ष 2004 में रोशनी एक्ट में संशोधन किया गया। संशोधन करते हुए वर्ष 1999 के महत्व को समाप्त कर दिया गया।
नया कानून तहत व्यवस्था बनी कि जिनके भी कब्जे में सरकारी जमीन है। वह इस योजना के तहत आवेदन कर सकता है। उसमें जमीन का अतिक्रमण और भी अधिक हुआ। रोशनी एक्ट के तहत कमेटियां बनाई गईं। जिन्हें भूमि का बाजार निर्धारित दामो करना था, परंतु नियमों का उल्लंघन करके । नए कानून तहत योजना के नियमों 31 मार्च 2007 के बाद सरकारी भूमि के मालिकाना अधिकारों के लिए आवेदन नहीं किया जा सकता था। ऐसे में यह योजना किंतु 2007 में आप्रासंगिक हो जाती लेकिन इसमें संशोधन जारी रहे और राजनेता व नौकरशाह इसका लाभ उठाकर सरकारी जमीनों के मालिक बनते रहे।बताया जाता है इस योजना से पहले सरकारी जमीनों पर कब्जा किया और उपरांत में चंद सिक्के देकर उसके मालिक बन गए। रोशनी एक्ट की आड़ में करोड़ों-अरबों रुपये की सरकारी संपत्ति के मालिक बन बैठे।
जमीन जैहाद देखिए सबसे बड़ी साक्ष्य
हम आपको 23 वर्षा पुरानी वो पत्र लेकर आ रहे जिसमें जम्मू-कश्मीर सरकार और लिखी गई तत्कालीन मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने 3 अप्रैल 1997 जम्मू के राजस्व विभाग के अंडर सेक्रेटरी ने जम्मू के DC अर्थात Deputy Commissioner को ये पत्र लिखी थी। इसमें में DC से कहा गया था कि वो जम्मू में एक मुस्लिम माइग्रेंट कॉलोनी बनाने के लिए 10 दिनों में 40 से 50 कनाल जमीन की पहचान करें।
आपको बता दे साक्ष्य जो हम आपको दिखा रहे है Zee news show DNA दौरान स्क्रीनशॉट हैै।
इसके अलावा जब हमने internet रिसर्च कि हमे कई ऐसे विज्ञापन मिले जिसमें 100 प्रतिशत मुस्लिम कॉलोनी बनाने के दावे किए हमारा प्रश्न है कि अगर देश धर्मनिरपेक्ष है तो फिर फिर एक विशेष समुदाय अलग कॉलोनी बनाने विज्ञापन क्यों दिया गया है।
एक जरा सोचिए किसी देश किसी इलाका में केवल हिंदुओं के लिए जमीन, या मकान का कोई विज्ञापन छप जाता तो क्या होता? स्वयं को धर्मनिरपेक्ष कहने वाली सारी ताकतें शोर मचाकर पूरी दुनिया को इकट्ठा करने लग जातीं। परंतु जम्मू-कश्मीर के मामले में ये धर्मनिरपेक्ष जमात खामोश रहती है तो इसका जवाब यही अगर ऐसा होता तो सेक्युलर विचारधारा वाले अभी UN में जाकर रोते हुए कहते भारतीय सविधान खतरे में पुरे दुनिया भारत धर्मनिरपेक्ष नही रहा है।
जिहाद सच बता रहे है जिसके बाद उन्होंने धमकी मिल रही है।
ऐसे कई लोगो के मन प्रश्न उठ रहे क्या वास्तव में जैहाद होता है आज हम इसी प्रश्न उत्तर देंगे हम आपको तथ्यो के साथ जैहाद वास्तविकता में बताए गे कई साक्ष्य (evidence) आपके सामने रखेगे आज जैहाद विरुद्ध इस मुहिम आरंभ हम कर रहे है़।
हम साफ शब्दो बता दे हमारा मकसद इस स्पेशल रिपोर्ट जरिए किसी भी धर्म विरुद्ध किसी धार्मिक भावनाए कि आहट पहुँचाने में नही है बल्कि साक्ष्य (evidence) के साथ वास्तविकता बताने प्रयास कर रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर में रोशनी एक्ट स्पेशल रिपोर्ट
चलिए आरंभ करते आज इस स्पेशल रिपोर्ट कि जम्मू-कश्मीर में रोशनी एक्ट तहत एक बड़ा घोटाला हुआ इसमें जम्मू-कश्मीर सरकार बड़े नेता और प्रशासन कई बड़े अफसर भी शामिल है। किंतु इसमें चौकाने वाले वाला बात ये है कि एक विशेष समुदाय लोगो कौड़ियों के भाव जमीन बेच दी गईं। प्रश्न ये उठा है कि ये जमीने जम्मू हिन्दू बहुसंख्यक में इलाको में एक विशेष समुदाय क्यों दिया गया है। तो क्या ये जम्मू के हिन्दू बहुसंख्यक क्षेत्रों डेमोग्राफी बदलने की षड्यंत्र रचा जा रहे है। रोशनी एक्ट अन्तर्गत जम्मू में 25 हजार लोग बसाए गए जबकि कश्मीर में सिर्फ 5 हजार लोगो को बसाया गया था।
वैसे हमारे देश में सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा करना जन्मसिद्ध अधिकार समझा जाता है। किंतु इसी देश के बहुत ही संवेदनशील राज्य में अगर ये जन्मसिद्ध अधिकार सिस्टम के ही आशीर्वाद से जेहाद का हथियार बन जाए तो आप क्या बोलेगे?यही हुआ जम्मू-कश्मीर में पिछले 17 वर्षो के दौरान इस घोटाले को अंजाम दिया था।
ये वो जेहाद है जिसके दम पर पाकिस्तान भारत को तोड़ने का सपना बरसों से देख रहा है। जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगी कि कैसे देश के साथ इतनी बड़ी षडयंत्र बरसों तक होती रही और किसी ने इस पर ध्यान तक नहीं दिया।आप सोच सकते हैं कि एक राज्य में कानून की आड़ में धर्म के आधार पर डेमोग्राफी को बदलने की प्रयास होती रही और सरकारें इसे रोकने की बजाय प्रलोभन देती रहीं।
आईए हम बताते है कि रोशनी एक्ट क्या है
वर्ष 2001 में तत्कालीन नेशनल कांफ्रेंस सरकार ने रोशनी एक्ट बनाया था और इससे इकट्ठा होने वाली धनराशि को बिजली क्षेत्र के प्रोजेक्ट में लगाने की बात कही। एक्ट में प्रावधान था कि सिर्फ उन्हीं लोगों को जमीनों का मालिकाना अधिकार दिया जाएगा, जिनके पास 1999 के पहले से सरकारी जमीन पर कब्जा है परंतु नेताओ की नीयत बदलते समय नहीं लगा।वर्ष 2004 में रोशनी एक्ट में संशोधन किया गया। संशोधन करते हुए वर्ष 1999 के महत्व को समाप्त कर दिया गया।
नया कानून तहत व्यवस्था बनी कि जिनके भी कब्जे में सरकारी जमीन है। वह इस योजना के तहत आवेदन कर सकता है। उसमें जमीन का अतिक्रमण और भी अधिक हुआ। रोशनी एक्ट के तहत कमेटियां बनाई गईं। जिन्हें भूमि का बाजार निर्धारित दामो करना था, परंतु नियमों का उल्लंघन करके । नए कानून तहत योजना के नियमों 31 मार्च 2007 के बाद सरकारी भूमि के मालिकाना अधिकारों के लिए आवेदन नहीं किया जा सकता था। ऐसे में यह योजना किंतु 2007 में आप्रासंगिक हो जाती लेकिन इसमें संशोधन जारी रहे और राजनेता व नौकरशाह इसका लाभ उठाकर सरकारी जमीनों के मालिक बनते रहे।बताया जाता है इस योजना से पहले सरकारी जमीनों पर कब्जा किया और उपरांत में चंद सिक्के देकर उसके मालिक बन गए। रोशनी एक्ट की आड़ में करोड़ों-अरबों रुपये की सरकारी संपत्ति के मालिक बन बैठे।
जमीन जैहाद देखिए सबसे बड़ी साक्ष्य
हम आपको 23 वर्षा पुरानी वो पत्र लेकर आ रहे जिसमें जम्मू-कश्मीर सरकार और लिखी गई तत्कालीन मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने 3 अप्रैल 1997 जम्मू के राजस्व विभाग के अंडर सेक्रेटरी ने जम्मू के DC अर्थात Deputy Commissioner को ये पत्र लिखी थी। इसमें में DC से कहा गया था कि वो जम्मू में एक मुस्लिम माइग्रेंट कॉलोनी बनाने के लिए 10 दिनों में 40 से 50 कनाल जमीन की पहचान करें।
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Pic Source zee news |
आपको बता दे साक्ष्य जो हम आपको दिखा रहे है Zee news show DNA दौरान स्क्रीनशॉट हैै।
इसके अलावा जब हमने internet रिसर्च कि हमे कई ऐसे विज्ञापन मिले जिसमें 100 प्रतिशत मुस्लिम कॉलोनी बनाने के दावे किए हमारा प्रश्न है कि अगर देश धर्मनिरपेक्ष है तो फिर फिर एक विशेष समुदाय अलग कॉलोनी बनाने विज्ञापन क्यों दिया गया है।
एक जरा सोचिए किसी देश किसी इलाका में केवल हिंदुओं के लिए जमीन, या मकान का कोई विज्ञापन छप जाता तो क्या होता? स्वयं को धर्मनिरपेक्ष कहने वाली सारी ताकतें शोर मचाकर पूरी दुनिया को इकट्ठा करने लग जातीं। परंतु जम्मू-कश्मीर के मामले में ये धर्मनिरपेक्ष जमात खामोश रहती है तो इसका जवाब यही अगर ऐसा होता तो सेक्युलर विचारधारा वाले अभी UN में जाकर रोते हुए कहते भारतीय सविधान खतरे में पुरे दुनिया भारत धर्मनिरपेक्ष नही रहा है।
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