temple built by ghost in india : एक ही रात भुतो ने तैयार किए ये अनोखे शिव मंदिर...
अभी पढ़ रहें है shashiblog.in आज के आर्टिकल में ऐसे तीन मंदिरो के बारे में बताते जा रहे है। जिसे जानकर आश्चर्य चकित हो जाएगा।
आज हम भारत के हम ऐसे तीन मंदिरो के बारे में बताते जा रहे है। जिसे जानकर आश्चर्य चकित हो जाएगा। परंतु यहां की कथा तो यही कहती है कि मंदिर किसी चमत्कार की तरह रात भर बनकर खड़ा हो गया। तो आइए जानते उन अनोखे और अद्भुत मंदिरों को जिनके बारे में दावा किया जाता है कि वह एक रात में बनकर तैयार हो गए।
गुजरात के काठियावाड़ में मौजूद नवलखा मंदिर लगभग 250 से 300 वर्षा पुराना है। ये भी बोला जाता है कि इस मंदिर का निर्माण बाबरा नाम के भूत ने केवल एक रात में किया था। इस मंदिर को देखकर आपका विश्वास करना कठिन है कि यह मंदिर भूत ने बनवाया है। नवलखा मंदिर सोमनाथ के ज्योतिर्लिंग के समान ही बहुत ऊंचा है। इस शिव मंदिर के चारो ओर नग्न-अर्धनग्न नवलाख मूर्तियां के शिल्प हैं। इस मंदिर को ध्वंस्त कर दिया था और बाद में काठी जाति के क्षत्रियों ने इसका पुन निर्माण करवाया था।
(2.)ककनमठ शिव मंदिर- मुरैना
प्रदेश के मुरैना जिले में मौजूद ककनमठ शिव मंदिर। इस मंदिर के बताया जाता है कि बड़े-बड़े पत्थरों से बने इस मंदिर के निर्माण में किसी भी तरह के सिमेंट का उपयोग नहीं किया गया है। फिर भी यह मंदिर सदियों से आंधी व तूफान का सामना करते हुए सीना ताने खड़ा है। इस मंदिर का निर्माण कच्छवाहा वंश के राजा कीर्ति सिंह के शासन के समय में हुआ था। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान शिव के गणों और भूतों ने किया था।
(3.) आदि केशव पेरुमल मंदिर- कन्याकुमारी
कन्याकुमारी में मौजूद आदि केशव पेरुमल मंदिर लगभग 4000 वर्षा पुराना है। यह मंदिर तीन नदियों से घिरा हुआ है। इस मंदिर के पीछे की मान्यता है कि एक बार भगवान शिव तांडव नृत्य कर रहे थे। नृत्य करते देख भोलेनाथ के भूतगण हंस पड़े। इससे क्रोधित होकर भगवान शिव ने उन्हें श्राप दे दिया। उनके शाप से मुक्ति के लिए ब्रह्माजी के कहने पर उन्होंने इस स्थान तपस्या की थी। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने एक सरोवर का निर्माण करवाया, जो अनंतसर के नाम से विख्यात हुआ। भूतगण सरोवर में स्नान करके शाप मुक्ति हो गए और विष्णुजी का आभार प्रकट करने के लिए रात में मंदिर का निर्माण कर दिया। इस नगरी को भूतपुरी भी बोला जाता है क्योंकि यहां भूतों ने तपस्या की थी।
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