
पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी ने रचा था पीएम का हत्या का षडयंत्र सामने आई पंजाब सरकार के चिट्टी.
5 जनवरी को पंजाब में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सुरक्षा में चुक हो गई है। जिसके बाद पीएम बठिंडा एयरपोर्ट पर वापस लौट आए। आज हम आपको पुरे घटना क्रम के inside story बताए गे।
ये बड़े सवाल उठ रहे ?
(1) पंजाब के मुख्यमंत्री , मुख्य सचिव और dgp
जब पीएम मोदी के काफिले निकलती तो मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और dgp का होना जरूरी होता है , चलिए मुख्यमंत्री चन्नी कहते है कि उनके करीबी कोविड हो गया , इसलिए नहीं आए , फिर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो रहा है कि जब पत्रकारो से बातचीत कर रहे थे , उस समय चेहेरे पर माक्स क्यों नही लगाया। एक और बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा हो रहा है कि पंजाब के मुख्य सचिव , dgp कहा थे। उन्हे तो प्रोटोकॉल तहत प्रधानमंत्री के काफिले साथ होना चाहिए।(2) कैसे मिली प्रदर्शनकारियों को पीएम मोदी के काफिले के जानकारी
Pm modi किस रोड से जाएगे इसकी जानकारी बहुत ही सिक्रेट रखा जाता है। फिर ये जानकारी तथाकथित किसान या फिर आंदोलनकारी को कैसे मालूम पड़ा है। आपको जानकारी के लिए बता दे कि पीएम मोदी के रूट की जानकारी dgp , मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री को ही मालूम रहता है, फिर ये जानकारी कैसे लीक हुई सबसे बड़ा प्रश्न चिन्ह चिन्ह यही खड़ा होता है।(3.) क्या पीएम के सुरक्षा के जिम्मेदारी SPG की?
कुछ लोगो के दावा है कि pm modi के सुरक्षा जिम्मेदारी SPG की है। जबकि ये कतई सही नहीं बल्कि कि PM को सुरक्षा देने की पहली जिम्मेदारी भले ही SPG की हो, लेकिन किसी राज्य के दौरे के समय स्थानीय पुलिस और सिविल प्रशासन भी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होता है। प्रधानमंत्री के रूट को तय कर उसकी जांच और उस रूट पर सुरक्षा देने का काम स्थानीय पुलिस और प्रशासन का ही होता है। अब हम आगे बढ़ते पीएम का प्रोटोकॉल क्या रहता है, जैसा कि कुछ लोग दावे कर रहे है। कि पीएम के सड़क मार्ग प्लान अचानक बना था , क्या इसमें कोई सच्चाई है। तो क्या सच में पंजाब के सरकार कुछ मालूम नहीं था।तो जानिए सच
प्रधानमंत्री किसी कार्यक्रम में हेलिकॉप्टर के जरिए जा रहे हैं तो किसी खास परिस्थिति के लिए कम से कम दो रास्ते तय किए जाते हैं। इसके अलावा कई बार ऐसा देखा जाता है कि तीन रास्ते तैयार रहता है। आपको ये बता दे कि तय वीआईपी मूवमेंट में अंतिम समय में एसपीजी ही रूट तय करती है। और एसपीजी किसी भी समय रूट बदल सकती है। यानी तय किया गया दो या तीन रूट में से किसी से पीएम काफिले निकल सकती है। एसपीजी और संबंधित राज्य की पुलिस के बीच समन्वय होता है। इस रास्ते पर सुरक्षा व्यवस्था की जांच सीनियर पुलिस अधिकारी PM के दौरे से पहले करते हैं। इस रास्ते पर सुरक्षा जांच रिहर्सल के समय SPG, स्थानीय पुलिस, खुफिया ब्यूरो और ASL टीम के अधिकारी सभी शामिल होते हैं। एक जैमर वाली गाड़ी भी काफिले के साथ चलती है। ये सड़क के दोनों ओर 100 मीटर दूरी तक किसी भी रेडियो कंट्रोल या रिमोट कंट्रोल डिवाइस के को जाम कर देते हैं, इससे रिमोट से चलने वाले बम या IED में विस्फोट नहीं होने देता।पंजाब सरकार के दावों की खुली पोल
