joshimath history: मैं…जोशीमठ हूँ। मैं भारतवर्ष के एक खूबसूरत राज्य उत्तराखंड के चमोली जिले का एक छोटा सा शहर हूँ। आपने शायद मेरे बारे में पहले भी सुना होगा या हो सकता है आप आज मेरा नाम पहली बार सुन रहे हों। दोनों ही दशाओं में आज मैं आपको अपनी पीड़ा सुनाने जा रहा हूं। पर आपको अपने कष्ट और तकलीफ बताने से पहले अपना सही से परिचय तो करा दूँ। joshimath history

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शुरुआत से ही मैं ज्योतिष केंद्र रहा हूँ। देश भर से साधु संत और पुजारी आए और आकर मुझमें बस गए। चार मठों में से पहले मठ की स्थापना भी मुझमें ही की गई। मैं बद्रीनाथ की गद्दी का सर्दियों का स्थान हूँ। मैं ज्ञानपीठ हूँ। मैं प्रकृति का घर हूँ। मैं श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हूँ। मैं हेमकुंड साहिब का गेटवे हूँ। मैं ज्योतेश्वर महादेव, श्री विष्णु, और नरसिंह जैसे मंदिरों की धरा हूँ। और आज इंसानों की वजह मैं कष्टों के बीच खड़ा हूँ पर इन कष्टों की जड़ छिपी है आज से 13 साल पहले 2009 विष्णुगढ़ हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के लिए टनल बोरिंग मशीन से एक सुरंग खोदी जा रही थी। वह टनल बोरिंग मशीन धरती के नीचे अचानक फंस गई सामने से हजारों लीटर साफ पानी बहने लगा। कई महीने गुजर गए लेकिन अच्छे से अच्छा इंजीनियर उस पानी को रोक नहीं सका और न ही टनल बोरिंग मशीन को चालू कर सका।joshimath history
असल में इंसानों की बनाई इस मशीन ने प्रकृति के बनाए एक बड़े जल भंडार में छेद कर दिया था। लंबे समय तक रोज 6 से 7 करोड़ लीटर पानी बहता रहा। फिर धीरे-धीरे ये जल भंडार खाली हो गया। यह जल भंडार मेरे ऊपर बहने वाली अलकनंदा नदी के बाएं किनारे पर खड़े पहाड़ के 3 किलोमीटर अंदर था। इस कारण मेरे कई छोटे झरने और पानी के स्त्रोत सूख गए यहां तक की मेरे अंदर की जमीन तक सूखने लगी है।joshimath history
बस यही कारण है कि आज मुझमें दरारें पड़ रही है। 600 से ज्यादा घरों को खाली किया जा चुका है। औरतें, बच्चे, बूढ़े आदमी सब के सब इस हड्डियों को गला देनी वाली ठंड में शिविर में रहने के लिए मजबूर हैं। और मैं… मैं बस रो रहा हूँ। मेरे पास और करने को भला क्या है इंसानों को विकास के नाम पर जो करना था उन्होंने कर लिया। ऐसा नहीं है कि वह मेरी दशा नहीं जानते थे। वह जानते थे, सब जानते थे कि 1976 में भी लैंडस्लाइड की कई घटनाएं हुई थी और उस वक्त की सरकार ने एक कमेटी बनवाई थी जिसका निष्कर्ष यही था कि बहुत जरुरत पड़ने पर और पूरी रिसर्च के बाद ही काम किया जाए वरना नहीं। पर शायद ऐसा हुआ नहीं और आज मेरी यह हालत हो गई।