नमस्कार दोस्तों आप सभी स्वागत है हमारे ब्लॉग पर, आप अभी पढ़ रहें है shashiblog.in आज के आर्टिकल में बताएंगे भारत के रहस्यमय मंदिर बताने जाने वाले है|
भारत धार्मिक विविधताओं ( India religious variations) और सहिष्णुता(Tolerance) दुनिया (WORLD) भर में जाना जाता है| धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में, विश्व-प्रसिद्ध भारत स्वीकृति को अपना मूल मंत्र मानता है|अर्थात् सभी सामाजिक कल्याणकारी मूल्य यहां पर आसानी से अपनाए जाते हैं|
अगर देखा जाए तो भारतीय लोकतंत्र भी एक ऐसी ही स्वीकृति की नींव पर बना है, जिसे दुनिया (WORLD) का सबसे मजबूत लोकतंत्र कहा जाता है,जिसे दुनिया का सबसे मजबूत लोकतंत्र कहा जाता है| इस स्वीकृति की छवि को भारतीय संस्कृति में अच्छी तरह से देखा जा सकता है। जिनमें से सबसे प्रभावशाली प्रतीक भारतीय मंदिर हैं,जो अपने दिव्य आकर्षण के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं। आज नेटिव प्लानेट के खास खंड में जानिए के विशेष खंड में, हम भारत के उन दिव्य मंदिरों के बारे में जानते हैं, जो पौराणिक काल के हैं, कुछ मंदिरों के बारे में जो अपने रहस्यमय इतिहास के लिए जाने जाते हैं।
1.Ranakpur Jain Temple
1. भारत की ऐतिहासिक (Historical) भूमि राजस्थान में अनेकों भव्य स्मारक वह महल मौजूद है इसमें रणकपुर जैन मंदिर भी शामिल है, उदयपुर से लगभग 96 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हलचल समय का आस्था का प्रमुख केंद्र है| अरावली पर्वत की घाटियों के बीच स्थित यह स्थान जैन धर्म के संस्थापक व पहले तीर्थंकर ऋषभदेव का चतुर्मुखी मंदिर कहा जाता है| मंदिर की वास्तुकला और दीवारों पर की गई प्राचीन शैली देखने लायक है। यहां के दिव्य वातावरण का स्पर्श पाने के लिए हर रोज कई भक्त और पर्यटक मंदिर जाते हैं। यह मंदिर जैन धर्म के पाँच तीर्थों में शामिल है|
आपको बता दे भारत में जितने भी जैन मंदिर है उसमें इस मंदिर की इमारत सबसे विशाल यहां पर आपको भारतीय स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना देखने को मिलगा|जहाँ यह भव्य मंदिर खड़ा है, वहाँ कभी रणकपुर का शासन था, उनके नाम पर इस स्थान का नाम रणकपुर पड़ा| इस मंदिर में चार प्रवेश द्वार हैं|जैन तीर्थंकर आदिनाथ की चार विशाल मूर्तियाँ मुख्य घर में स्थापित की गई हैं। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण यहाँ पर १४४४ स्तंभ हैं। मंदिर की किसी भी दिशा में देखने पर, बड़े और छोटे, ये भव्य स्तंभ दिखाई देते हैं| ये 1444 स्तंभ आकर्षण के लिए या किसी अन्य कारण से बनाए गए थे, सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है|
2. 2. Badrinath Temple
उत्तराखंड में मौजूद बद्रीनाथ धाम हिंदुओं के चार धामों में से एक हैं,अलकनंदा नदी के किनारे बसा यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार बद्रीनाथ समर्पित है|यहां पर हर वर्ष श्रद्धालुओं की भारी भीड़ दर्शन के लिए उमड़ पड़ती है,अपनी ढेरों मनोकामना को भक्त मुश्किल रास्तों से भी यहां तक यात्रा पर पहुंचती है|सनातन धर्म में यह मान्यता है कि अपने जीवन काल में बद्रीनाथ के दर्शन एक बार जरूर करना चाहिए|यहां नर-नारायण देवता की पूजा की जाती है। यहां श्रद्धालुओं ने अलकनंदा नदी में स्नान करते है,जो की ठंड की वजह से बहुत मुश्किल होता है| इस मंदिर की अपनी पौराणिक मान्यता है, कहा जाता है कि जब भागीरथी के प्रयास के वजह गंगा पृथ्वी पर उतरीं, तो यह 12 अलग-अलग धाराओं में विभाजित हो गई, अलकनंदा उन 12 धाराओं में से एक थी|
Mythological significance
ये लगभग 2000 वर्षों से भी ज्यादा पुराना है हिंदुओं का तीर्थ स्थान है कहा जाता है कि यहां सतयुग के द्वारा वक्त भगवान विष्णु ने लोगों को दर्शन दिए थे| शास्त्रों और पुराणों में, बद्रीनाथ को दूसरा बैकुंठ कहा गया है। इस मंदिर से जुड़ी एक और धार्मिक मान्यता है, कहा जाता है कि यह पवित्र स्थल कभी भगवान शिव का निवास था|
जिसे बाद में भगवान विष्णु ने भगवान शिव से मांग लिया पवित्र धाम में दो पर्वतों के बीच मौजूद जिसे नर नारायण के नाम से जाना जाता मान्यता के मुताबिक यहां विष्णु के अंश नारायण ने तपस्या की थी|
3. Meenakshi Amman Temple
तमिलनाडु में मौजूद मीनाक्षी अम्मन मंदिर मां पार्वती को समर्पित है|मां मीनाक्षी देवी पार्वती का अवतार है और भगवान विष्णु की बहन है|
इस ऐतिहासिक मंदिर को 3 नामों से बुलाया जाता है, हला मीनाक्षी सुन्दरेश्वरर मन्दिर, मीनाक्षी अम्मन मंदिर व तीसरा केवल मीनाक्षी मंदिर। पौराणिक मान्यता के मुताबिक भगवान शिव दुरई नगर के राजा मलयध्वज की पुत्री राजकुमारी से विवाह रचाने यहां आए थे,इसलिए यह मंदिर सनातन धर्म में विश्वास रखने वालों के लिए एक तीर्थ स्थान है|
वास्तु व स्थापत्य का अद्भुत मेल मंदिर की वास्तु व स्थापत्य कला किसी को भी आश्चर्यचकित हो जाएगे। मंदिर के 12 भव्य गोपुरम देखने लायक हैं। यहां आप कुशल रंग व चित्रकारी का अद्भुत मेल देख सकते हैं। आपको बता दें इस मंदिर का वर्णन तमिल साहित्य में भी मिलता है|
इस मंदिर का विकास के काम 17वीं शताब्दी में पूरा किया गया है अगर आप ध्यान से देखेंगे तो मंदिर के 8 खंभों में मां लक्ष्मी की मूर्ति भी है इस पर भगवान शिव से जुड़ी पौराणिक कथाएं भी लिखी गई है|
4.Kashi Vishwanath Temple
उत्तर प्रदेश के बनारस में मौजूद काशी विश्वनाथ मंदिर को 1 2 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है| जहां स्वयं शिव प्रकट हुए थे। इस मंदिर का इतिहास कई हजार साल पुराना है, जो हिंदू पुराणों में भी पाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यदि कोई इस मंदिर में जाता है और गंगा नदी में डुबकी लगाता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है| आपको बता दें इस पावन स्थान पर शंकराचार्य से लेकर स्वामी विवेकानंद तुलसी नाथ महर्षि दयानंद सभी आए हैं|
प्राचीन रहस्य महाशिवरात्रि के दौरान यहां का भव्य नजारा देखने लायक रहता है,इस बार ढोल नगाड़ों के बाबा विश्वनाथ जी की शोभायात्रा निकाली जाती है सनातन मान्यता के मुताबिक काशी विश्वनाथ मंदिर प्रलयकाल में भी अपनी असल अवस्था में ही रहेगा क्योंकि इसकी रक्षा स्वयं भगवान शिव करते हैं| उस वक्त भगवान शिव इस मंदिर को अपने त्रिशूल में धारण कर लेंगे, व सृष्टि काल पर उतार देंगे|
आपको बता दें इसी स्थान पर श्रीएकनाथी भागवत लिखकर पूरा किया गया था, जिसके रचनाकार संत एकनाथी थे|
5. Virupaksha temple Hampi
भारत के प्राचीन स्मारकों में, विरुपाक्ष मंदिर, कर्नाटक के हम्पी में स्थित एक विराट शिव मंदिर है।यह मंदिर दक्षिण भारत के सबसे बड़ा सबसे महान राजा कृष्णदेव राय के शासनकाल के वक्त बनाया गया है| यह मंदिर भगवान शिव के अवतार विरुपाक्ष को समर्पित है|
दोस्तों आपको बता दें ‘पंपापटी‘ नाम से भी जाना जाता है। हम्पी नगर के मार्केट में एक विराट मंदिर का निर्माण 15 शताब्दी में करवाया गया था|
आप इस भव्य मंदिर की देखेंगे तो अंदर कई छोटे-छोटे प्राचीन मंदिर नजर आएंगे इस मंदिर के पूर्व में महादेव के सेवक नदी दक्षिण में गणेश की भव्य प्रतिमा स्थापित की गई है| विरुपाक्ष मंदिर में आपको भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की 6.7 मीटर ऊंची प्रतिमा भी दिखाई देगी। यह भव्य मंदिर हम्पी का मुख्य आकर्षण है। यह मंदिर भारत के प्राचीन मंदिर शामिल है और यह मंदिर में परंपरा के मुताबिक पूजा होती है| मंदिर हेमकुता पहाड़ियों के तल पर मौजूद है, जो इस मंदिर को एक सुंदर रूप देता है।
6. Sun Temple, Konark
कोणार्क के सूर्य मंदिर भारत के उड़ीसा राज्य में मौजूद है, प्राचीन मंदिर की भव्यता को देखते हुए इसे विश्व धरोहर घोषित किया गया है|यदि आप इसके शाब्दिक अर्थ में जाते हैं, तो आप जानेंगे कि कोणार्क दो शब्दों के मेल से बना है, एक है ‘कोण‘ और दूसरा है ‘अर्क‘, कोण का अर्थ है सूर्य। यह मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि यह भारत का एक ऐसा मंदिर है जहां आज तक पूजा नहीं हुई है। यह मंदिर ओडिशा राज्य के पुरी जिले में स्थित है|
इतिहास का लोक मानस मंडल का निर्माण कार्य अधूरा ही लगे जिसके वजह सेनिर्माणकर्ता राजा लांगूल नृसिंहदेव की अकाल मृत्यु।इस मंदिर के ऐतिहासिक महत्व के वजह से यहां पर पर्यटक ज्यादा आना पसंद करते हैं|
मंदिर की वास्तुकला किसी को भी मोहित कर देगी। मंदिर की दीवारों पर उकेरी गई कामुक मूर्तियां Madhya Pradesh के खजुराहो के मंदिर से काफी मिलती-जुलती हैं|