नमस्कार दोस्तों आज के दिन 28 साल पहले 6 दिसंबर के दिन 1992 लाखों की संख्या में कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद को गिरा दिया, उग्र भीड़ ने तकरीबन 5 घंटे में ढांचे को तोड़ दिया. इसके बाद देश भर में सांप्रदायिक दंगे हुए और इसमें कई निदोष लोग मारे गए। आपको बता दे कि 28 साल पहले आज ही के दिन यानी 6 दिसंबर को अयोध्या में बाबरी कलंक हमेशा के लिए मिटा दिया गया है। जिसके बाद से ही 6 दिसंबर को हिन्दू संगठन और हिन्दू इस दिन को शौर्य दिवस व भगवा दिवस रूप में मनाते है तो वही मुसलमानो के कुछ कट्टरपंथी संगठन इस दिन को काला दिवस बन रूप मनाते है।
खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी मस्जिद
आज हम आपको 6 December 1992 पुरी कहानी बताएगे , उस पहले आपको बता दे कि सुप्रीम कोर्ट
फैसले में ASI (भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण) का हवाला देते हुए कहा गया कि बाबरी मस्जिद का निर्माण किसी खाली जगह पर नहीं किया गया था. विवादित जमीन के नीचे एक ढांचा था और यह इस्लामिक ढांचा नहीं था. कोर्ट ने कहा कि पुरातत्व विभाग की खोज को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आपको बता दे कि भी ( ASI )पुरातत्व विभाग ने ये माना था विवाविद जमीन पर प्राचीन हिन्दू मंदिर है। ASI के आर्कियॉलजिस्ट केके मोहम्मद ने भी कहा कि उत्तर भारत के मंदिरों में शिखर के साथ आमलक लगाए जाने की परंपरा थी और इससे सिद्ध होता है कि उस स्थल पर मंदिर था।
लखनऊ में रैली को किया था संबोधित
देशभर में तनाव का माहौल था। उस पहले लखनऊ में 05 दिसंबर 1992 को बीजेपी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने एक बड़ी रैली को संबोधित किया था। कारसेवा से ठीक एक दिन पहले उस रैली में अटल जी ने कहा था, ‘वहां (अयोध्या) नुकीले पत्थर निकले हैं। उन पर तो कोई नहीं बैठ सकता तो जमीन को समतल करना पड़ेगा, बैठने लायक करना पड़ेगा।’ ‘कारसेवा सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की अवहेलना नहीं’ तब सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए अटल जी ने कहा था, ‘सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अर्थ मैं बताता हूं। वो कारसेवा रोकना नहीं है। सचमुच में सुप्रीम कोर्ट ने हमें अधिकार दिया है कि हम कारसेवा करें। रोकने का तो सवाल ही नहीं है। कल कारसेवा करके अयोध्या में सर्वोच्च न्यायालय के किसी निर्णय की अवहेलना नहीं होगी। कारसेवा करके सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का सम्मान किया जाएगा।’
6 December की पुरी कहानी (6 december 1992 babri masjid demolition in hindi)
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में कुछ बड़ा होने वाला था, उस समय कांग्रेस शासित केंद्र की सरकार युपी में राष्ट्रपति शासन लगाने वाली तभी युपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया था कि उसके आदेशों का पूरा पालन होगा। कल्याण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में गांरटी दी कि बाबरी मस्जिद की हर हाल में सुरक्षा करेंगे. आपको बता दें, 1528 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया था। 6 दिसंबर 1992 की सुबह तक करीब साढ़े 10 बजे लाखों की संख्या में कारसेवक अयोध्या पहुंच गए थे.तभी उसी समय विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल, कारसेवकों के साथ वहां मौजूद थे. थोड़ी ही देर में बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी भी जुड़ गए, उसके बाद वहां लालकृष्ण आडवाणी भी पहुंच गये। हर किसी की जुबां पर उस वक्त ‘जय श्री राम’ का नारा था. प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो उस दिन कोई ऐसा नहीं था जिसने ‘जयश्रीराम’ का उद्घोष न किया हो, यहां तक की घटना स्थल पर मौजूद पुलिसकर्मी भी वहां नारे लगा रहे थे। कारसेवक इरादा क्या इस नारा समझ सकते है , जब कारसेवक कह रहे थे कि एक धक्का और दो बाबरी मस्जिद तोड़ दो। भीड़ हिसंक हो चुकी थी, लेकिन शासन प्रशासन अधिकारी कह रहे थे कि कुछ अनहोनी होने की कोई संभवना नही है। पुरी शांतिपुर्वक कारसेवक हो रही है।
आपको बता दे कि कारसेवक पहली कोशिश में पुलिस इन्हें रोकने में कामयाब रही थी. फिर अचानक दोपहर में 12 बजे के करीब कारसेवकों का एक बड़ा जत्था मस्जिद की दीवार पर चढ़ने लगा. लाखों की भीड़ में कारसेवक मस्जिद पर टूट पड़े और कुछ ही देर में मस्जिद को कब्जे में ले लिया।
पुलिस के आला अधिकारी मामले की गंभीरता को समझ रहे थे. लेकिन गुंबद के आसपास मौजूद कारसेवकों को रोकने की हिम्मत किसी में नहीं थी.दोपहर के तीन बजकर चालीस मिनट पर पहला गुंबद भीड़ ने तोड़ दिया और फिर 5 बजने में जब 5 मिनट का वक्त बाकी था तब तक पूरा का पूरा विवादित ढांचा जमींदोज हो चुका था. भीड़ ने उसी जगह पूजा अर्चना की और राम शिला की स्थापना कर दी।
बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा इसलिए गिराया क्योंकि जब बाबर का शासन था तब उसने मंदिरों को तोड़ कर मस्जिद का निर्माण कराया था। इसलिए बाबरी मस्जिद गिराया था।
लालकृष्ण आडवाणी राममंदिर आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा थे। इसी मुद्दे की बुनियाद पर 1989 के लोकसभा चुनाव में 9 साल पुरानी बीजेपी 2 सीटों से बढ़कर 85 पर पहुंच गई थी। इसके बाद भी यह मुद्दा गरम रहा और बीजेपी ने सियासत की बुलंदियों को छुआ। इससे पहले आडवाणी सितंबर 1990 में सोमनाथ से रथ लेकर मंदिर के लिए जनजागरण करने निकल पड़े थे।
सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को अयोध्या मामले में रामलला विराजमान के पक्ष में अपना फैसला सुनाया था. इस साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिमों को अयोध्या में अलग से 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था। जिसके बाद 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भूमिपूजन किया है । जिसके बाद राम मंदिर निर्माण कार्य आरंभ हो गया , और हिन्दूओ की 400 सालो से चल रही संघर्ष समाप्त हो गई।